roses

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Sunday 7 August 2011

कुछ बदला सा !!


दरकती रही ज़िन्दगी जुड़ने की चाहत में
उगते रहे ये पंख बस   उड़ने  की चाहत में !
पलकें जब भी उठाई अपने ही चेहरे से घबराई
दौडती रही रौशनी में बस अंधेरों से टकराई !
मुस्कुराते कई शब्द ! ख़ामोशी में बदल रहे
भावनाओं के किरदार एकाकीपन में उलझ रहे
मै बैठी रह जाती हूँ, विचार आगे बढ़ जाते हैं
मै कुछ  न कह पाती हूँ , मौन सब कह जाते हैं
उथल पुथल हुई है कहीं भीतर, कुछ गहरे में
इस शांत समंदर में, शायेद कुछ बदला सा है!!

1 comment:

  1. sundr ,bdhai nirntr abhys poorvk likhtirhe ridm ke liye prishrm kren
    dr. ved vyathit
    09868842688

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