दो आँसूं इधर लुढके थे एक चीख उधर गूंजी थी
फिर इज्जत के रखवालों ने, आबरू किसी की लूटी थी !!
सीसे सा दिल पत्थर में बदल गया
अपराधियों के कोर्ट में, गवाह फिर मुकर गया !!
वो बेवफा, सामने खड़ा खिल्लियाँ उड़ा रहा
बदचलनी के कितने ही, इल्जाम वो लगा रहा !!
छिप गयी दरवाजे के पीछे बेआवाज रो रही
जिंदगी से भली मौत उसको लग रही !!
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